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दश-वैकालिक-सूत्र।
अथ पंचम अध्ययन प्रथम उद्देशः। अयोग्य तोमार भिक्षा लइवत्ता आज। : करिवना कभु आमि धर्महीन काज ॥२८ प्राणी वीज वनस्पति हरित-वरण.! पाद:- द्वारा ये गृहिणी करेन मद्देन ॥ साधुर भिक्षार लागि जीवर.संहार । करिते प्रयासी नित्य छाडि शुद्धाचार । असंयमी सेइ यदि भिक्षा दिने आसे। .. कभुना लइवे भिक्षा याहा धर्म नाशे ॥RE जोवयुक्त पात्र मध्ये आहार्य ये राखे। तुच्छ वोध करि सदा षड्जीवे देखे.॥ निक्षेपे अदेय वस्तु प्राणीर उपरे। सञ्चालित करे येवा सजीव पुष्पेरे।। जीवयुक्त जलदाने हय अग्रसर 1. लवेना ताहार भिक्षा साधकप्रवर ॥३० सजीव सलिले दात्री यदि करे स्नान ।। सञ्चालित करि जल नाशे जीव प्राण ॥ आत्ममुख आकर्षण करे लय जल। आहायेर सह देय भिक्षुके केवल.!! ना करिने कभु साध से भिक्षा ग्रहणा! . . अभिप्रेत नहे भिक्षा. बलिवे तखन ॥३१ भिक्षाकाले यदि करे गृही. प्रक्षालन। जोवयुक्त जले हस्त हाता वा भाजन !!