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________________ २-अहो भगवान् ! क्या जीव है सो चैतन्य है या चैतन्य है सो जीव है ? हे गौतम ! जीव है सो चैतन्य है और चैतन्य है सो जीव है, जीव और चैतन्य एक ही है । नारकी का नेरीया व नियमा जीव है, और जीव है सो नेरीया अनेरीया दोनों ही है। इसी तरह २४ ही दण्डक कह देना चाहिए। ३-अहो भगवान् ! जीव है सो प्राण धारण करता है या प्राण धारण करता है सो जीव है ? हे गौतम ! जो प्राण धारण करता है सो नियमा जीव है परन्तु जीव प्राण धारण करता भी है और नहीं भी करता है, जैसे सिद्ध भगवान्, द्रव्यप्राण धारण नहीं करते हैं। नारकी का नेरीया नियमा प्राणधारी है और प्राणधारी है सो नेरीया अनेरीया दोनों ही है। इसी तरह २४ ही दण्डक कह देना चाहिए। ४-अहो भगवान् ! भवसिद्धि क ( भवी ) नेरीया होता है या नेरीया भवसिद्धिक होता है ? हे गौतम ! भवसिद्धिक नेरीया अनेरीया दोनों ही होता है। इसी तरह नेरीया भी भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक दोनों होता है । इस तरह २४ ही दण्डक कह देना चाहिए। ५-अहो भगवान् ! अन्यतीर्थी कहते हैं कि सब प्राणी भूत जीव सत्त्व एकान्त दुःखरूप वेदना वेदते हैं। क्या यह ठीक है ? हे गौतम ! अन्यतीर्थियों का यह कहना मिथ्या है । मैं इस ..... से कहता हूँ-नारकी का नेरीया एकान्त दुःखरूप वेदना वेदता है, कदाचित् सुखरूप वेदना भी वेदता है । चारों ही
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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