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द्वार, ६ झान द्वार, १० योग द्वार, ११ उपयोग द्वार, १२ वेद द्वार, १३ शरीर द्वार, १४ पर्याप्ति द्वार ।
१-सप्रदेश द्वार-अहो भगवान् ! क्या जीव सप्रदेशी है या +अप्रदेशो ( पहिले समयरा उत्पन्न हुवा) है ? हे गौतम ! सप्रदेशी अप्रदेशी के ६ भांगे होते हैं - १ सिय सप्रदेशी, २ सिय अप्रदेशी, ३ सप्रदेशी एक अप्रदेशी एक, ४. सप्रदेशी एक अप्रदेशी बहुत (घणा), ५ सप्रदेशी बहुत (घणा) अप्रदेशी एक, ६ सप्रदेशी बहुत (घणा) अप्रदेशी बहुत (घणा)।
समुचय जीव काल आसरी--एक जीव और बहुत जीव नियमा सप्रदेशी । २४ दण्डक के जीव, सिद्ध भगवान् काल आसरी-एक जीव सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी। बहुत जीव प्रासरी-एकेन्द्रिय को छोड़ कर तीन भांगे होते हैं-१ सब सप्रदेशी ( सव्वे वि ताव हुज्जा सपएसा ), २ सप्रदेशी बहुत अप्रदेशी एक, ३ सप्रदेशी बहुत, अप्रदेशी बहुत । एकेन्द्रिय में भांगा पावे १ तीसरा ( सप्रदेशी बहुत अप्रदेशी बहुत )।
२-आहारक द्वार--अहो भगवान ! क्या आहारक सप्रदेशी है या अप्रदेशी है ? हे गौतम ! आहारक समुच्चय जीव,
* जिसको उत्पन्न हुवे को २-३ या ज्यादा समय होगया है उसे 'सप्रदेशी कहते हैं ।
+ जिसको उत्पन्न हुवे को १ समय ही हुवा है उसे अप्रदेशी कहते हैं।
शाश्वते बोल हैं उनमें ३ भांगे होते हैं और प्रशाश्वते में ६ भांगे
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