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________________ ८कंपमान अपमान का स्थिति द्वार-एक आकाश प्रदेश ओघाया कंपमान की स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यातवें भाग की है । अपमान की 'स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट असंख्याता काल की है। इसी तरह दो अाकाश प्रदेश अोधाया से लगा कर असंख्यात आकाश प्रदेश ओघाया तक की स्थिति कह देनी चाहिए। : ह-वर्ण गन्ध रस स्पर्श का स्थिति द्वार--वर्ण गन्ध रस स्पर्श की स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट असंख्याता काल की है। इसी तरह एक गुण काला से लेकर अनन्त गुण काला तक की स्थिति कह देनी चाहिए । काला कहा उसी तरह वर्णादिक १६ बोल और कह देने चाहिए। ..... १०-सूक्षम बादर का स्थिति द्वार-सूक्ष्म बादर पुद्गलों की स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट असंख्याता काल की है। ११.-शब्दपने अशब्दपने परिणमने का स्थिति द्वारशब्दपने परिणम्या की स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट 'प्रावलिका के असंख्यातने भाग की है। अशब्दपने परिणम्या की स्थिति जघन्य एक समय की, उत्कृष्ट असंख्याता कालकी है। १२-परमाणु का अन्तर द्वार--परमाणु पुद्गल का अन्तर जघन्य एक समय का, उत्कृष्ट असंख्याता काल का है । दो 'प्रदेशी खंध से लगा कर अनन्त प्रदेशी खंध तक का अन्तर जघन्य एक समय का, उत्कृष्ट अनन्त काल का है। ..... ..
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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