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दक्षिण दिशा के असुरकुमार देव उत्तर दिशा में नन्दीश्वर द्वीप तक गये, जाते हैं और जावेंगे। उत्तर दिशा के असुरकुमार देव दक्षिण दिशा में आठवें नन्दीश्वर द्वीप तक गये, जाते हैं और जावेंगे। इससे आगे नहीं गये, नहीं जाते हैं और नहीं जायेंगे। अहो भगवान् ! नन्दीश्वर द्वीप तक किस कारण से जाते हैं ? हे गौतम ! तीर्थङ्कर भगवान् के जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान और परिनिर्वाण (मोक्ष), इन चार कल्याणकों का महोत्सव करने के लिये जाते हैं। अहो भगवान् ! असुरकुमार देवों की ऊंची गति कितनी है ? हे गौतम ! बारहवें देवलोक तक जाने की शक्ति है ( विषय प्रासरी ), परन्तु पहले देवलोक तक गये, जाते हैं और जावेंगे । अहो भगवान् ! असुरकुमार देव पहले देवलोक तक किस लिये जाते हैं ? हे गौतम ! अपने पूर्वभव के वैरी को दुःख देने के लिए और अपने पूर्व भव के मित्र से मिलने के लिए तथा आत्मरक्षक देवों को त्रास उपजाने के लिए जाते हैं और वहाँ से छोटे छोटे रत्न लेकर एकान्त स्थान में भाग जाते हैं। तब वैमानिक देव असुरकुमार देवों को शारीरिक पीड़ा पहुँचाते हैं । अहो भगवान् ! असुरकुमार देव पहले देवलोक में जाकर क्या वहाँ की देवियों के साथ भोग भोगने में समर्थ हैं ? हे गौतम ! णो इणढे समढे ( ऐसा नहीं कर सकते हैं)। असुरकुमार देव वहाँ से देवियों को लेकर वापिस अपने स्थान पर आते हैं, फिर उन देवियों की इच्छा हो तो भोग