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१२८ वैक्रिय कर सकता है ? हे गौतम ! नहीं कर सकता, किंतु बाहर के पुद्गलों को ग्रहण करके १ एक वर्ण एक रूप, २ एक वर्ण अनेक रूप, ३ अनेक वर्ण एक रूप, ४ अनेक वर्ण अनेक रूप वैक्रिय कर सकता है। .... २--ग्रहो अगशन् ! क्या बैंक्रिय लब्धिवंत अखंबुडा अणगार बाहर के पुद्गलों को ग्रहण किये बिना काले को नीला रूप और नीले को काला रूप परिणमा सकता है ? हे गौतम ! नहीं परिणमा सकता, किन्तु. बाहर के पुद्गल ग्रहण करके काले को नीला और नीले को काला परिणमा सकता है। इस तरह वर्ण के १०, गन्ध का १, रस के १० और स्पर्श के ४ ये २५ भांगे हुए । ४ भांगे पहले के मिला कर तुल २६ भांगे हुए।. . . . . .. ... ....
.:. ३-अहो भगवान् ! चेड़ा कोणिक के महाशिला कंटक संग्राम में और रथंपूसल संग्राम में कितने अनुष्य मरे और में कहाँ जाकर उत्पन्न हुए ? हे गौतम ! महाशिला कंटक संग्राम में ८४ लाख मनुष्य मरे, वे सब नरक तिर्य में उत्पन्न हुए । रथ-मूसल संग्राम में ह६ लाख मनुष्य मरे, उनमें से एक वरुण नाग नत्त आ का जीव सौधर्म देवलोक के अरुणाभ विमान में महद्धिक देवपने उत्पन्न हुआ। और एक. (वरुण नाय नता के " बाल मित्र का जीव *) उत्तम मनुप्यकुल में उत्पन्न हुशा । दस ... ** वरुण नाग नत्तुआ का जीव और वरुण नाग नत्तए के वाल भित्र __का जीव फिर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष जायेंगे।
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