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________________ १२४ ३- भगवान ! गत अनन्त काल में, वर्तमान काल में और भविष्यत काल में जितने सिद्ध बुद्ध मुक्त हुए हैं, होते हैं, होगे क्या वे सभी उत्पन्न ज्ञान दर्शन के धारक अरिहंत जिन केवली होकर सिद्ध बुद्ध मुक्त हुए हैं होते हैं और होवेंगे ? हाँ, गौतम ! वे सब उत्पन्न ज्ञान दर्शन के धारक अरिहंत जिन केवली होकर सिद्ध बुद्ध मुक्त हुए हैं, होते हैं, होवेंगे। ४-अहो अगवान् : क्या उन उत्पन्न ज्ञान दर्शन के धारक अरिहंत जिन केवली को 'अलमत्थु' ( अलमस्तु-पूर्ण ) कहना चाहिए ? हाँ, गौतम ! उन्हें अलमत्थु (अलमस्तु )-पूर्ण हना चाहिए। .....अहो भगवान् ! क्या हाथी और कुथुश्रा का जीव समान हैं ? हाँ, गौतम ! * दीपक के दृष्टान्त अनुसार समान है, सिर्फ शरीर का फर्क है। ... नारकी के नेरीये यावत् वैमानिक तकः २४ ही दण्डक के जीव जो पापकर्म करते हैं, किये हैं और करेंगे वे सब दुःख रूप जैसे एक दीपक का प्रकाश किसी एक कमरे में फैला हुआ है। यदि उसको किसी बर्तन द्वारा ढक दिया जाय तो उसका प्रकाश बर्तन परिमाण हो जाता है ! इसी तरह जव जीव हाथी का शरीर धारण करता है तो उतने बड़े शरीर में व्याप्त रहता है और जव कुथुश्रा का शरीर . धारण करता है तो उस छोटे शरीर में व्याप्त रहता है । इस प्रकार सिर्फ .. शरीर में फर्क रहता है। जीव में कुछ भी फर्क नहीं है। सब जीव मान हैं।
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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