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समट्ठ-असुरकुमार देव पहली- रत्नप्रभा : नरक के नीचे नहीं बसते हैं। इसी तरह असुरकुमार देव सात नरकों के, बारह देवलोक, नव अवेयक, पांच अनुत्तर विमान, जाव सिद्धशिला के नीचे बसते हैं ? हे गौतम ! णो इणढे समझे। :: . : २-अहो भगवान् ! असुरकुमार देव कहाँ रहते हैं ? हे गौतम ! यह रत्नप्रभा पृथ्वी एक लाख अस्सी हजार योजन की मोटाई वाली (जाडी) है। उसमें से एक हजार योजन ऊपर
और एक हजार योजन नीचे छोड़ कर बीच में १ लाख ७८ हजार योजन की पोलार है। उसमें १३. पाथड़ा और १२ आन्तरा हैं । उन: १२ अान्तरों में से ऊपर दो आन्तरा.छोड़ कर नीचे के १० आन्तरों में दस जाति के भवनपति देव रहते हैं । तीसरे प्रान्तरे में असुरकुमार रहते हैं। ... -३-अहो भगवान् ! असुरकुमारों की गति कितनी है ? वे कहाँ तक जा सकते हैं ? हे गौतम ! नीचे सातवीं नरक तक जाने की शक्ति है ( विषय आसरी), परन्तु तीसरी वालूप्रभा नरक तक गये, जाते हैं और जावेंगे। अहो भगवान् ! वे तीसरी नरक तक किस कारण से जाते हैं ? हे गौतम ! अपने पूर्व भव के वैगे को दुःख देने के लिये और अपने पूर्व भव के मित्र को सुखी करने के लिए जाते हैं। अहो भगवान !. असरकमार देव तिरछी गति कितनी कर सकते हैं ? हे गौतम ! स्वदिशा में असंख्यात द्वीप समुद्र, परन्तु पर दिशा में नंदीश्वर द्वीप याने.