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वेदनीय कर्म किस तरह से बांधता है ? हे गौतम ! जीव साता वेदनीय कर्म* १० प्रकार से बांधता है। इसी तरह २४ ही दण्डक में कह देना चाहिए।
७–अहो भगवान् ! क्या जीव. असाता वेदनीय कर्म बांधता है ? हाँ, गौतम ! बांधता है। अहो भगवान् ! जीव असाता वेदनीय कर्म किस तरह से बांधता है ? हे गौतम !
जीव x १२ प्रकार से असाता वेदनीय कर्म बांधता है। इसी __ तरह २४ ही दण्डक में कह देना चाहिए।
-अहो भगवान् ! इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल का दुःषमा-दुःषम नाम का छठा पारा कैसा होगा ? हे गौतम ! यह छठा आरा मनुष्य पशु पक्षियों के दुःख जनित हाहाकार शब्द से व्याप्त होगा। इस आरे के प्रारंभ *साता वेदनीय कर्म बन्ध के दस कारणः-
. १-४-प्राण, भूत, जीव, सत्त्वों पर अनुकम्पा करने से, ५-बहुत प्राण भूत जीव सत्त्वों को दुःख नहीं देने से, ६-उन्हें शोक नहीं उपजाने से; ७-खेद नहीं उपजाने से, ८-वेदना नहीं उपजाने से, ह-नहीं मारने से; १०-परिताप नहीं उपजाने से जीव साता वेदनीय कर्म बांधता है।
x असांतावेदनीय कर्म बांधने के १२ कारण१-दूसरे जीवों को दुःख देने से, २-शोक उपजाने से, ३-खेद उपजाने से, ४-पीड़ा पहुंचाने सें; ५-मारने से, ६-परिताप उपजाने से, ७-१२बहुत प्राण, भूत, जीव, सत्त्वों को. दुःख देने से, शोक उपजाने से, खेदः . . उपजाने से, पीड़ा पहुंचाने सें, मारने से, परिताप उपजाने स, जीव . असाता वेदनीय कर्म बांधता है।
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