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________________ ... पंचेन्द्रिय में भांगा पावे ३-३ । बाकी २२ दण्डक में भांगा पावे एक (अपञ्चक्खाणी) अल्पबहुत्व-समुच्चय जीव में सबसे थोड़े सर्व उत्तरगुण पच्चक्खाणी, उससे देशउत्तरगुण पच्चक्खाणी असंख्यातगुणा, उससे अपञ्चक्खाणी अनन्तगुणा । तिर्यंच पंचेन्द्रिय में सब से थोड़े सर्व उत्तरगुणपञ्चक्खाणी, उससे देशउत्तरगुणपञ्चक्खाणी असंख्यातगुणा, उससे अपच्चक्खाणी असंख्यातगुणा। मनुष्य में ... सब से थोड़े सर्व उत्तरगुण पञ्चक्खाणी, उससे देशउत्तरगुण पञ्चक्खाणी संख्यातगुणा, उससे अपञ्चवखाणी असंख्यातगुणा ४-अहो भगवान् ! क्या जीव संजति ( संयति ) है या असंजति ( असंयति ) है या संजतासंजति (संयतासयति ). है ? हे गौतम ! समुच्चय जीव में भांगा पावे ३. मनुष्य में भांगा पावे ३ । तिर्यंच पंचेन्द्रिय में भांगा पावे २ ( असंजति और संजतासंजति )। बाकी २२ दंडक में भांगा पावे एक-असंजति । - अल्पवहुत्व-समुच्चय जीव में सब से थोड़े. संजति, उससे संजतासंजति असंख्यातगुणा, उससे असंजति अनन्तगुणा । तिर्यंच पंचेन्द्रिय में सब से थोड़े संजतासंजति, उससे असंजति .. 1 .1 ' M ' . . . . असंख्यातगुणा । मनुष्य में सबसे थोड़े संजति, उससे संजतासंजति संख्यातगुणा, उससे असंजति असंख्यातगुणाः । ७- अहो भगवान् ! क्या जीव पञ्चक्खाणी है, या पञ्चक्खाणापञ्चकखाणी है या अपञ्चकखाणी है ? हे. गौतम । समु
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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