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१३४ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
द्विवेदीजी की निबन्ध कला का पूर्ण विकास 'सरस्वती' के सम्पादन -काल में ही हुआ । सम्पादक होने के नाते उन्हे न केवल सम्पादकीय टिप्पणियाँ लिखनी पड़ती थी, अपितु, रचनाओ की कमी के कारण स्वयं विभिन्न विषयों पर निबन्धात्मक सामग्री भी तैयार करनी पड़ती थी । दीर्घकाल तक 'सरस्वती' मे प्रकाशित होनेवाले उनके इस निबन्ध - साहित्य का अधिकांश पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ है । परन्तु उनके कई निबन्ध अब भी अप्रकाशित पाण्डुलिपि की शक्ल में काशी- स्थित नागरी प्रचारिणी सभा के संग्रहालय में सुरक्षित हैं । द्विवेदीजी के प्रकाशित निवन्ध - सग्रह निम्नांकित हैं :
१. प्राचीन पण्डित और कवि (सन् १९१८ ई० )
२. वनिता - विलास (सन् १९१९ ई० )
३. कालिदास और उनकी कविता (सन् १९२० ई०)
४. रसज्ञरंजन (सन् १९२० ई०
५. अतीत स्मृति (सन् १९२४ ई० )
६. सुकवि-संकीर्तन (सन् १९२४ ई० ) ७. अद्भुत आलाप (सन् १९२४ ई० ) ८. महिलामोद (सन् १९२५ ई०) ९. आख्यायिका-सप्तक (सन् १९२७ ई० ) १०. आध्यात्मिकी (सन् १९२७ ई० ) ११. विदेशी विद्वान् (सन् १९२७ ई० ) १२. आलोचनांजलि (सन् १९२८ ई० ) १३. दृश्य-दर्शन (सन् १९२८ ई०) १४. दृश्य-लेखांजलि (सन् १९२८ ई० ) १५. वैचित्र्य-चित्रण (सन् १९२८ ई० ) १६. साहित्य-सन्दर्भ (सन् १९२८ ई०) १७. पुरावृत्त (सन् १९२९ ई०) १८. पुरावृत्त-प्रसंग (सन् १९२९ ई०) १६. प्राचीन चिह्न (सन् १९२९ ई० ) २०. साहित्यालाप (सन् १९२९ ई०) २१. चरितचर्या (सन् १९३० ई० ) २२. वाग्विलास (सन् १९३० ई० ) २३. विज्ञानवार्त्ता (सन् १९३० ई० ) २४. समालोचना-समुच्चय (सन् १९३० ई० ) २५. साहित्य- सीकर (सन् १९३० ई० )