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________________ ११२ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व 'इस पुस्तक की भाषा न हिन्दी है, न उर्दू, न गवारी है। वह इन सबकी खिचड़ी है। किसी की मात्रा कम है, किसी की अधिक । गेहूँ, चावल, तिल, उरद आदि सात धान्य कोई कम कोई अधिक सब एक में गड्डबड्ड कर देने से जैसे कई बोलियों की खिचड़ी की है।' १ इन समीक्षाओं के अतिरिक्त द्विवेदीजी ने नाग-सुधार के उद्देश्य से कई लेख भी लिखे, जिनकी बड़ी चर्चा तत्कालीन साहित्यिक वातावरण में रही । 'देशव्यापक भाषा' (सन् १९०३ ई०), 'देशव्यापक लिपि' (सन् १९०५ ई०) और 'भाषा और व्याकरण)', सरस्वती, नवम्बर, १९०५ ई०) शीर्षक उनके निबन्ध ऐसे ही है। इनमें भी अन्तिम निबन्ध तो हिन्दी-साहित्य के भाषा-विषयक विवादो मे अपना विशिष्ट महत्त्व रखता है। 'भाषा और व्याकरण' शीर्षक अपने इस निबन्ध मे भाषा के अन्तर्गत व्याकरण के महत्त्व को दिख लाते हुए द्विवेदीजी ने हिन्दी के कई स्वर्गीय महारथियों की भाषागत त्रुटियो के उदाहरण दिये है, यथा : १. "मेरी बनाई वा अनुवादित वा संग्रह की हुई पुस्तको को श्रीबाबूरामदीन सिंह 'खड्गविलास' के स्वामी का कुल अधिकार है और किसी को अधिकार नहीं कि. छापे-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ('बकरी-विलाप' की पीठ पर वाली नोटिस, २३ सितम्बर, १८८२ ई०)। २. "औरंगजेब ने तख्त पर बैठकर अपना लकब आलमगीर रक्खा । मुल्तान के पास तक दाराशिकोह का पीछा किया। लेकिन जब सुनाकि दाराशिकोह मुल्तान से सन्धि की तरफ भाग गया और शुजा बंगाल में आता है, फौरन इलाहाबाद की तरफ मुड़ा। - राजा शिवप्रसाद (इतिहास-तिमिरनाशक)। ३. यह एक पुस्तक नागरी में है ।... जिनको ये दोनों पुस्तक लेनी हों .... शाहजहाँपुर से मंगा लें। .... तृतीय भाग में निषेधकों के आपत्तियों और कल्याणाओं के विधिपूर्वक उत्तर हैं।"-काशीनाथ खत्री। _____ इसी प्रकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, राजा शिवप्रसाद, गदाधर सिंह और राधाचरण गोस्वामी की कृतियों के अन्य चार उदाहरण भी भाषागत त्रुटियों के सन्दर्भ में उन्होंने दिये हैं। साथ ही, उन्होंने इन त्रुटियों का संशोधन भी किया है, यथा : १. '... अनुवादित ... पुस्तकों को छापने का श्री बाबू... कि उन्हें या उनको छापे।'- 'बकरी-विलाप'।। __२. '... पास तक उसने दाराशिकोह ... जब उसने सुना ... फौरन वह इलाहाबाद ...।' ३. '... यह पुस्तक ... दोनों पुस्तकें ... निषेधकों की आपत्तियों और कल्पनाओं ...।' १. सरस्वती (सन् १९०९ ई०), पृ. ४५ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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