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आदिनाथ-चरित्र
प्रथम पर्व भी हल्का कर सकते थे। उन्हें वह गुरुत्व शक्ति प्राप्त होगई, जिससे वह अपने शरीर को, इन्द्रादि देवताओं के लिए भी असहनीय, वज्रसे भी भारी बना सकते थे। उन्हें ऐसी प्राप्ति शक्ति प्राप्त होगई; जिस से वह, पृथ्वीपर रहनेपर भी, वृक्षके पत्तों के समान मेरुके अग्रभाग और नक्षत्र आदिकों को छू सकते थे; अर्थात् पृथ्वीपर खड़े हुए वह आकाश के तारों को हाथों से छू सकते थे। उनको ऐसी प्राकास्य शक्ति प्राप्त होगई थी, जिससे वह जलमें थलकी तरह चल सकते थे और जलकी तरह पृथ्वीमें उन्मजन-निमज्जन कर सकते थे। उन को ऐसी ईशत्व शक्ति प्राप्त होगई थी, जिससे वह चक्रवर्ती और इन्द्र की ऋद्धि को बढ़ा सकते थे। इनको ऐसीअपूर्व वशित्व शक्ति प्राप्त हो गई थी, जिस से वह स्वतंत्र और क्रूर जन्तुओं को भी वश में कर सकते थे। उन्हें ऐसी अप्रतिधाती शक्ति प्राप्त होगई थी, जिससे वह छेद की तरह पर्वत के बीच से निःशंक गमन कर सकते थे। उन को ऐसी अप्रतिहत अन्तर्धान होने की सामर्थ्य होगई थी कि वह हवा की तरह सब जगह अदृश्य रूप धारण कर सकते थे और ऐसी काम रूपत्व शक्ति प्राप्त होगई थी, जिससे वह एक ही समय में अनेक प्रकार के रूपों से लोक को पूर्ण कर सकते थे। ___एक अर्थ रूप बीज से अनेक अर्थ रूप बीज जान सके ऐसी जि बुद्धि, कोठी में रखे हुए धान्य की तरह, पहले सुने हुए अर्थ को याद किये बिना यथास्थित रहे ऐसी कोष्ट बुद्धि और आदि