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स्थिति में प्राप्त उक्त महब काव्य तक रचमानों का ही विषय प्रस्तुत किया गया है।
10 विध विषयक मय पाहिल्या
मादिकाल के हिन्दी जैन साहित्य में गव काव्य मूलक रचनागों अतिरिक्त इतर विषय की रचनाएं भी उपलब्ध होती है। यषि इन रचनाओं की भाषा इसनी अधिक सक्षत और प्रवाहपूर्ण नहीं है फिर भीतुलनात्मक दृष्टि देवियन करने पर मड्य साहित्य का बकालीन वैविध्य स्पष्ट हो जाता है।विषय की इष्टिम रनामों में पर्याप्त वैभिन्य है कोई बात बैली में है, तो कोई वनिका जैली में। का चारण की तो कुछ जैन शैली की चिली में जिस प्रकार अन्तरपरिलक्षित होता है ठीक वैसे ही इसके व विवाद भी ः रचनाएं गणित की मिलती है तो कुर ग्यो विकास है, कुछ शास्त्र की है तो कुहार मीडिया रानी की।इस प्रकार विविध वस्तु विषयक अनेक रमा उपाय होगा भागोर, मेरठ, बडीत,सहारमपुर, दिल्ली, मकरन्गर,आदि स्थानों के जैम भंडारों की सम्यक् रोध होने पर भाश की जाती है कि इनसे नेवर विषयों पर लिपी बत्कालीन नेक गड्य रचना उपलब्ध हों।
वातावली सी कई इस काल में मिलने वाली पति की रमानों की पाक मही परिव सा पानामसलिम पुरान बाट म नाम (मियरमेन्ट) कधी मन मी नियों की वर्षक पति शानिया मिनी माना हो कमि है, परन इस मन को शाnिse का
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