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प्रायश्चित व त्याग) ५० कायोत्सर्ग (कष्ट पाना ) ६- प्रत्यास्थान व्रत नियम
आहार आदि का ध्यान ।
उक्त कृति के reet
साहित्य क्षेत्र में आचार्य सोमसुन्दरसूरि ने प्रवेश किया। गद्य को दिशा आचार्य वाप्रम ने दी और सोमसुन्दर के बालावबोध के क्षेत्र में लगभग ८ प्रसिद्ध कृतियों का योगदान किया है:(०) उपदेशमाला बालायबोच सं० १४४५
(२)
efष्ट शतक मानवीय सं० २४९६
(३)
tearer बालावबोध
(४)
Heater स्तोत्र जालावबोध
(५)
(६)
(0)
(८)
इन ग्रन्थों में कुछ उद्धरणों पर विचार किया जा सकता है। क्योंकि इन कृतियों की शैली किल्प और वस्तु में लगभग पाप्त समानता है। इन कृतियों में छोटी छोटी कथाएं है मात्रा अधिकार कृतियों की प्राचीन राजस्थानी या नीमडी है। इनमें उपदेशों का सुरत और संस्कृत के दुआ काव्यों को सरलतम बनाने के लिए तथा जन साधारण के लिए लप करने के लिए ही इन कृतियों की रचना हुई है। योग पास न्द्र का अन्ध है उसी पर कईवालावीच तथा स्याएं रखी गई है।
taareeTorantध
पर्व आराधना बालावबोध
spheres बालावबोध
विचारग्रन्थ बालावबोध |
इसके
कि सत्य का प्रश्न है वह अधिक नहीं है
फिर भी इतियों में माया कड़ियों स्पष्ट परिलक्ति होती है रकाव मैं सभी का विश्लेषण करना वडा संभव नहीं है। एक दो रचनाओं का परिचय तथा गम के उपर सवार कर सकते है।
माठा बालावनोथ में आचरण की पवित्रवत पर प्रकार डालने जाली छोटी बड़ी प्राकृत स्थानों का ग्रन्थ है। रचना का उद्देश्य धार्मिक उपदेश है।