________________
८१४
४- उपदेशात्मक कथाएं ५- धार्मिक कथाएं
६- विविध विषयक कार वस्तुतः इन सब कगाओं के माध्यम से धर्मोपदेश धर्मप्रचार ही स्पष्ट होता है। प्रत्येक कशा धर्म के अंग उपायों पर प्रकाश डालती है जिन धार्मिक ग्रन्धों में इस शैली में भागम,आचारंग, सूत्र कुवाग, अंग, उपाग, मूलसूत्र, स्तोत्रमन्ध, ज्यास्या प्राप्ति साधुप्रतिक्रमण, दशवकालिक, बड़ावश्यक, पिंड विशुदिध, उत्तराध्या के साथ साथ स्तवनौ त म चरित्रग्रन्थों के गध दार्शनिक ग्रन्थों पर भी विस्तृत म में मिलती है। इसके अतिरिक्त मी विविध विक्य स्मों में हमें सारण, क्षेत्र, समास, शीलोपदेश माला, भव प्रवचना,व्याख्यान, विधि विधान, उपवेक्ष माला, शोमिम स्तुति, गोग गस्त्र, संग्रहणी, गौतमपन्छा, अन्डन मंडन, धार्मिक स्थाओं के रूप में तथा सिद्धान्त अन्धों के सम में उपलब्ध होती है। बालावबोध में अन्त में भरत वाक्य की प्राति जैन धर्म के किसी तत्व विशेष की सूचना होती है सामान्यतः प्रारम्भ में इस प्रकार की मात दिखाई नहीं देती पर अन्त में इस का समाहार विधी विशेष धर्म सूत्र, या दर्शन सिद्धान्त मा किसी उपदेष प्रधान तय में होगा। वस्तुतः इस शैली का पहले तथा कालाम्बर दोनोकालों में सून प्रचार हुआ। पहली पापा टीकात्मक पत्याशियों में सबसे उE या प्रधान है।
उक्त सूची में विका आधार पर न सिमी का वर्गीकरण निम्ना किस कम किया जाता:
• চাকমূলক শাস্তি *माया मइयवाहित्य
पर सम्बन्धी साहित्य -हा कि पल शाहित्य
म काम्ब का रक्षावक एवं प्रेरक मद्य साहित्य ..क्य (विविध क्विक)