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(ब) साहित्यिक
(अ) बन्धात्मक (a) धार्मिक कृतियां "उपासना पद्धति जन्म
उपलब्ध कृतियों में सबसे प्राचीन कृति अनाज लेखक कृति बाराधना है। इस कृति का दृष्टिकोण धार्मिक है और धर्म के प्रमुख स्लैम उपासना से यह सम्बन्धिा हैाराधना नाम से ही कृति का अनुमानतः उपासना मूलक होना स्पष्ट होता है।यह कृति पाटण के ताडपत्रीय प्रति से मिली थी इसका प्रकाशन सर्व प्रथम सन् १९२० में बड़ोदा सेप्रकाशित प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह के सम्पादक श्री सी.डी. दलाल ने इस अन्ध में क्यिाथा।' स्था इसके माठ ९ वर्ष बाद श्री पुनि जिन विषय जी ने अपने अन्य प्राचीन गुजराती गझ्य संदर्भ में 20 १९२५ में किया। इनदोनों अन्यों के द्वारा मध्य साहित्य के प्रारम्भिक काल की प्रथा , रमा विद्वानों के सामने पिछले कई वर्षों से आ चुकी है।
शिल्प
माना की वर्षन पात प्रथा भक्त के वय के विकारों के बिना व पश्चाताप की अभिव्यक्ति का स्पष्टीकरण करती है जिससे पाना समय मन में किसी भी प्रकार का मन रो। भाषिक स्वयं अपनी व् माराध्य के समय स्वीकार करता है तथा अपने पूर्ण समस्त पापों और मिष्णामों पर वह इस उपाला पधति में आत्म कानि अनुभव करता है। घरेपेष्टि का स्मरण, सर्व जीवों से धनागापना पर्व भारिक निमा और धर्म इन चार महानों में परम में गना की माराधना का बय।
१० देटिए- प्राचीन पूर्वर गाडी
प्राचीन मराठी चापाबक मुनि जिन विजय जी०१८-१९ -देवनावर