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स्वंपने पार्वनाथ स्तवन (दिवतीय)
इसी नाम से एक दिवसीय प्रवन नी मिला जो इसरना के पक्ष व प्रासादिक है। वह मी जयसागर विरचित ही वर्णन सिात्मक और अनुप्रासात्मक है:* वणव भाभरबह माला, तिहि मना कर माता
निरविमिर बिपि भानस परि जिमि स निवासी, जिम वर्मति बराइ विकायो,
जिन उदयानल मा गर िगव्य विनावीय, भारिपुर सरगसरीमादीसह पास प्रकार
होम र कपिणीका, महिमा पुगणावि मो शिव र पाना
चितामवि मिति मापड, भापम जिम जग पुगतिहि थापा,
कापड़ पापड़ के मामि बरोबर #टि यो नि उरवर भाकि पति मोलि g
इस प्रकार दोनों रमाई बरस मीर मेव है।
श्री बीमार स्वामी सम
वीधर स्वाप बसि गाम को कवि ने इस स्तवन में जोया रचना ११ माथानों पूरी ई लाकार माति अभय जैन यालय है। भामा नोपान प्रभावित रस्मा पर और परिवमूलक जिसने चीन्ट भावों को प्ररित के स्म मेभारा गया है। भाषा का