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या मोर के सिद्धार्थ महावीर को यान नहीं कर सका।इसके अतिरिक्त स्वयं कविधनपाल मालपाति ज और मोष की समा का विद्वान और अपनी पंडित था। भोज की माही धनपाल ने शिला मंत्री की रचना की थी। सत्यपुरीन महावीर उत्साह में किसी आपरती का वर्णन है। तिलक मंजरी रखने के बाद कवि भोर वेस्ट होकर सत्यपुर आ गया था। उस समय देश पर तुओं का शाम हो रहा था जिसमें मानवी की बोमनाथ बढ़ाईशत्यन्त प्रमिल है। इसके अतिरिक्त पोज का समय पी निश्चित कि०० से ११ है। अतः मुहम्मद गजनवी मामय का वर्णन मोज ही के शासनकाल में पड़ता है और यह भी स्पष्ट पाकि भोग के कहने पर ही मपाल में मिलक मंजरी की रक्ना की बीहिरंग प्रमाणों
पीमात होता है कि धनपाल ने ही यह आल्हादक स्तुति की थी। यो इतिहास में यह प्रमाननीं मिलताकि बाराम महमूद गजनवी ने बायपुर पर भाग लिया। जिमय पूरि इवारा लिनी में भी यह वर्षन मिलता
है कि पाणब ने सत्यपुर पर सौपनाथ की पाति आमण किया, पर वह सफल + नहीं आ प्रभावकारिज और प्रयोग चिन्तामणि अन्य मी माद को प्रसिद्ध बामणकरी पान व कवि वनपाल ने अपने स्तोत्र में पाक माम को स्पष्ट क्यिा है
भूपिहिब got मारि- लिवद शहासिक होने के लिए भी समान किया जा सखा है कि सा
गोधारी , जिस पर मतों का सम्मति साईबी, की और मामूब ही काम नहीं या हो।
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महावीर की
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