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________________ मुनियों और अन्य अनेक देवताओं की स्तुतियां और स्तोत्रबथा अनेक गीता मावि मिल जाते है। प्राचीन स्तोत्रों का विशाल डडत स्तोत्र रत्नाकर नाम प्रसिद्ध है। पावन में अनेक मीत है जिनमें गोपी गीत सबसे प्रसिद्ध प्रादेशिक भाषाओं के साहित्य में भी भक्ति सम्बन्धी धार्मिक त्यो बाले भनेक मीत, पद, स्तोत्र या स्वबन उपलबध हो जाते हैाविड़ को बालि साहित्य में उपलब्ध स्तोम उल्लेखनीय है पिसे ही समय में मध्यकाल में भी महारानी करनी आदि प्रमों में मी अनेक प्रकार के गीत, स्तोत्र व स्तवन आदि स्तुति मूलक रचनाओं का निर्माण मा होगा पर के उपलब्ध नहीं होती है। अपक्ष में मीप परिख सूचक पुस्तक काय मिल बा है। इन स्तोत्र स्तवनों की विशेषवाओं पर और शिल्प पर पीय प्रकाश डाला गया है। स्तोत्र मीन वास्तव भक्ति परक, जान भूलक तथा वैराग्य की प्रधानता लिए है। हिन्दी साहित्य के आदिकाल में सर ११.० से १५०० तक इन रचनात्रों की पंखला बहुत विशाल सम में उपलब्ध होती है। इस साहित्य में स्वोत्र, स्तवन, मीर, भादि शशि भूलक रमानों की क्या हो भी भर है। मनः इनमें कीर्तन पछि ध्यान, उपासना, नुषि, ममिक, कार, सकाब वादि अनेक मोर मा साहित्य उपलध होबा माचीन राजस्थानी वा सूनी गुजराती होकापाका अनेक मीठ, स्मृति स्तोत्र स्तवन आदि किलो है। रमाएं की सलापूर्ण है। यपि इस खोज सन शक रमाओं का विधान साहित्यिक में महत्व पानामी सन्त भि भी इनकाठीन भाषा साहिल्य की ममता का परिचय nि frदी जैन साहित्य में इस प्रकार विवत जीनोग, गानो वागावी पियों आदि सम्बन्धी अनेक गीत स्तोत्र कसान कि बाझिमीदों व सोनों की व्यावस्तु धार्मिक है, पर लिपी वामप्रति कवियों के बारपाक के गीत है। इनमें श्रावक भासियों की मार्मिक अनुभूतियों ग सान उल्लास है। कार में आत्मोन्नति और पनि भावना को बबाम करते है। इन गीतों की लता,
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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