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में पितृ पक्ष श्राद्ध का दिन था अम्बिका ने बिना पूछे जैन मुनि को भोजन दे दिया। मा के कहने से उसके पति ने उसे बाहर निकाल दिया। पति की पर्सना से वह अपने बच्चों को लेकर चली गई पी से उसके प्रभाव से पत्तले सोने की हो गई। हीरा मोतियों से घर पर गया पति अम्बिका के प्रभाव से यह सब बागान पुन उमे ने दौड़ा पर वह बन्धों के साथ में मई और देवी हुई। इधर उसका पति सोग भी गिर गया और फिर यह सिंह मामाज पी अम्बिका की मूर्ति का सिंह बाहन है एक हाथी की उंगती एक बच्चा पदे है क्या सरा बच्चा अंक है। उसके सिर पर भाम का लंब उत्कीर्ण किया मिलता है क्योंकि उसने अपना प्रभाव से सूषिों में आप लगा दिए थे तथा शुष्क तालाब में पानी भर आया था। बाप भी विद्याम्मर समाज में अविका की पूषा कुछ देवी के रूम में होती है।
कषि ने पूरे काब्य में इसी क्या का विस्तार किया हैमोम सामग्री और पिंडदाम क्रियादि का प्रसंग का वर्णनदेखिका -
हणि परि सम बडनकताई मुश्वासि माया अपर पातु सोम निलिमा भाविनि कपि व पि बानु र सत्यपि वि या रहि कालादि कीया बार के कालिदाति पक्यान मार पीरिड पि विमा
बरस पानि बीमन मार गाव बानि नापति (५) पास का मेन को माना और बोकाकोष वा पना करके उसे घर से मार निमा शादि पटना मायकी सा प्रवास और कामय का
विकरि पोष्ट गावि भान विदिक पलोतु पूनिया
विनाविन दिय बाय देसिविनियमपि मछरिय चौमी नामयो की पहाडिब खा भन्ड किया कोपि र सो वा मोर, दिए कई किया