________________
८११
।
अम्बिकादेवी पूर्वभव वर्षन बलहारा ।
शक्ति पूजा और शक्ति साधना की इन्टि सेजैन धर्म में भी कुछ ऐसी देवियों की पूजा होती है जिनका नाम शासन देवियों के नाम से प्रचलित है।
न धर्म के प्रभाव के कारण ही यह देवी देवताओं की पूजा तीर्थकों के साथ साथ होने समी। २४ वीकरों के साथ साथ ४ बामन देववाओं और देवियों को प्रणय दिया गया जिनमें पक्षमावती देवी, अम्बिकादेवी, चक्रेसरी देवी आदि कई देकिया है जिनमें सर्व प्रथम स्थान अम्बिा देवी को ही मिला है। यद्यपि आगे चलकर वा मेमिनाथ की भक्त शासन देवी के स्म में कर दी गई है। वस्तुतः सभी सार्थकों के साथ साथ एक स्त्री मूर्ति भी मिलती है जो सम्भवतः इसी अम्बिकादेवी की ही है। प्रस्तुत रममा अम्बिकादेवी सम्बन्धी है। रचना के नाम से ही स्पष्ट है कि यह अम्बिकादेवी के पूर्वभव वर्णन सम्बन्धी वृक्ष से सम्बन्धित है। अम्बिकादेवी के सम्बन्ध में रखे जाने वाले साहित्य की परम्परा का प्रारम्भ प्राकृत से ही हुआ है अपप्रेस काव्यों में भी अम्बिकादेवी पर वर्षन कि बाते है। वीं साइटी के बैन बोव साहित्य में अधिकारी स्तुति पाई पाती है।वा दिने दो पूरा यिका रितही लिज दिया था वस्तुतः श्वेताम्बर और दिसम्बर कोनों सम्प्रदायों में अम्बिकादेवी सम्बन्धी या कि बाती है। स्वाम्बर विवान श्री प्रभावरि
रचित प्रभावकारित में प्रसंग म बर्षित अम्बिकादेवी के पूर्व भव वर्णन को यामास प्रकाशिनीको चुका । इसके अतिरिक्त मी विकादेवी केबीन पर प्र
ति बाले है। -हिन्दी शैल- rrrror रवीरवाणी
में श्री भंवरलाल माटाका लेख। ४- पियान्चपास्कर पाम १ . श्री कामता प्रसाद जैन का लेखा