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सतह गंगह वीरि दह जेव उच्छा लियउ
चार म डोउ सरीर पडत उदय करिमा लियउ
बीसरि आउ, परसर भय मिला as करिला राज तकि अन्ड से मना विस्थह गंग सिन्धु इइ राठ अनु वा नाइल साहिया प्रे सीनइ छह बीड जीतळं मानद भामरउ
(१५-१७)
कोबानल पञ्जलि साव, भरसक जैपड रे रे। दिवियाण ठाक, जिम पडियल कंप मुलत चालिया हाथ में गिरवर जंगम हिंसारवि जहिरिय दियंत हल्लिय तुरंमय पर डtes ares, हेतु विनियक छाहजह भरसक वालियउ कटकि क्सु ऊपम दीजs तं निर्माणे विषनाडु बलिष सीवह गय गुडिया
र रहसि हि उरंग दलिहि में उपासा जुडिया
अति वाकि पावर होड़ अति वाटि
afafe होइ कालकूट मति मरिय कूट (२०-२४) इस प्रकार कवि की निविशता भी साथ साथ स्वष्ट होती है जिससे काव्य का अर्थ गाम्भीर्य का परिचय मिलता है।
दोनों भाई म में अनक वेग की भाति मे और में दोनों के निश्चित पपर मरतेश्वर के जीवित होने पर बाहुबली को वैराग्य हो आया।
वन्द म वम का प्रवास में देखिए:
मि कार्ड मोडल नारिय
यह कति पहरण पर मो मिति की जिस करि बोताद अतिहिं पाकिं माइका गाडि बोलतो मरथहि पडिक तक नहिं