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आदि को प्रभावित करती है, गनोत्सबधार्मिक क्यिा प्रक्रिया, आदि सब पर जब रितुषों का अनुभ्य प्रभाव पड़ता है वम रितु काव्य अपनी समस्त मधुरता मे अपिभूत होकर अनुस्यूत क्यों न होगा। रितु काय के नून अंकुर और किसलय को नहीं भूटेगी मेवों में रियों के सम्बन्ध में अनेक सूत्र मिल गाडे है।
बस्तु रिकाम्य एक प्रकार से जीवन से समझौता करके चलने वाले मर्मगीत है जिनमें फूल भी है तो कभी पीन पी है दो पल भी, बामद मी है तो वर्ष भी, विरामी है तो मिलन भी। बारहमासे निवेश प्रति भौर मानब के शिस्तन प्रेम और अभिन्नता के प्रतीक काव्य मारहमारे लोक जीवन से सात लोक काम्य है। नरनाओं को आज पी राजस्थान में सूब गावा पाता है। जनता की कवि का बाबान करने में ये काव्य बड़े मनात और सवम है। अजैन विश्वामों ने की अनेक बारामा विपरन्तु जैन कवियों की मावि उममें लिखने की क्रिया और परंपरा का अभाव होने के कारण रसायं पुरवित नहीं सकी। उनतर रचनाएं प्राचीन नहीं मिलती।हिन्दी साहित्य में भी बारहमानों का वर्णन बम गायसी से पूर्व अध्यावधि नहीं मिलता था। वर रावस्थानी ग्रन्थों में भावानल कामवला बारहमासा मिला है।
गलपि अधिकारवारमा काम तिा लिन और न पर कवियों हमारा हि बारहमास वस्तु के बाद को बायो। मारकमामानों ने पी माओरी पीगर मगर
गावटी की प्रतिमा बारमा चिोप्राचीन रमाइलो पति और रीतिका
वाय, ra हिारी वाविवारनामे किलो मानों
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1.ma.nलीक, स्लोक 1-01 ..हिन्दी पोन वर्ष. .. पर श्री अमरबन्छ माटा का लेख।