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इसी प्रकार पूरी नामें कवि ने लगमन सभी प्रसिद्ध जैन तीर्थों और जैन रचनावों का बर्षन दिया है। गन्य की दृष्टि से रक्षा गाणार है। प्रस्तुत चैत्य परिपाठी सोरठा और बस में लिखी गई।
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श्री नगरकोट ती त्यपरिपाठी
मुनिजयसागर की दूसरी रखना श्री नगरकोटगी त्यपरिपाठी है रचना प्रकाशित है। कवि ने प्रस्तुत रचना मगर कोट के तीर्थों का बारकारिक वर्षम किया है। कवि ने मन्दिर में बिके नगर कोट वी मन्दिरों का भरस तथा चित्रात्मक प्रकार प्रधान वन
निगव्य और पापा की दृष्टि से रखना के कुछ बरस स्थल उल्लेखनीय है।मन्दिर में स्थित देववानों का विभिन्न इन्टायों इवारा बन देशिप:
बिमहरि बीमारी मनि माधिकरेट मनगर बोपनमा बिपदराबा विवि वी सोडवप मावि मारा
बाबीड मारिवार राम बराल चिम माrane किलित (1)
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