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________________ ७८८ इसी प्रकार पूरी नामें कवि ने लगमन सभी प्रसिद्ध जैन तीर्थों और जैन रचनावों का बर्षन दिया है। गन्य की दृष्टि से रक्षा गाणार है। प्रस्तुत चैत्य परिपाठी सोरठा और बस में लिखी गई। - श्री नगरकोट ती त्यपरिपाठी मुनिजयसागर की दूसरी रखना श्री नगरकोटगी त्यपरिपाठी है रचना प्रकाशित है। कवि ने प्रस्तुत रचना मगर कोट के तीर्थों का बारकारिक वर्षम किया है। कवि ने मन्दिर में बिके नगर कोट वी मन्दिरों का भरस तथा चित्रात्मक प्रकार प्रधान वन निगव्य और पापा की दृष्टि से रखना के कुछ बरस स्थल उल्लेखनीय है।मन्दिर में स्थित देववानों का विभिन्न इन्टायों इवारा बन देशिप: बिमहरि बीमारी मनि माधिकरेट मनगर बोपनमा बिपदराबा विवि वी सोडवप मावि मारा बाबीड मारिवार राम बराल चिम माrane किलित (1) यावारिनिवासिाब गोगाMammam - - पाटर - Ant
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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