________________
हे वित्त मह जस जसावडी, कहहि कामत्त जिमि सरमणीय उरेचन्द वर पन्छ उसख धीरो जुरे सयल अवय आगमगहीरो
जुरेकाम धरि बडह जग मैक्दो किम्बाई वियप पुषिवरियो (५-) रचना में कवि ने व्या स्थान हान्य परिवर्तन भी किया है जिससे उसमें मेयता बनी रहती है:
मुसधि विधान सभामुरे र मयण भगा मम बलम हरे पिडि पड़सि निगमर यूरिया नववा न मान चार से (१०) गय गुडिडय पक्सरि वरद मन करहि भयन मन चलडिवर्क
वह वापिनेसर हि मुमत पर नहब न गुडिय गर्व इस प्रकार छोटी सी रबमा होने पर भी इसका अपना महत्व है।काव्य की दृष्टि से रचना का महत्व साधारण है। पर रचना प्रकार की इस्टि से बान्द्रायन का अपना स्वत्र महत्व है।
विपकिका, सन्ततिका, आदि की भाति अष्टक तक रचना भी उपलब्ध होती है। इनरमानों के पी या कार्य करती है। माम्दों में यो रमा सम्पूर्ण होती हो सम्पवयः कवि ने उसी रचना को मटकामटकपी। स्त्राों की मालिक और मावाली मा होतीकवि उल्लारप्रधान आठ छन्दोबोकिने माल का पुन मान वाटक कालान्तर में कोई बन्द विममा होसी बीविय नहीं हो पाती। बस प्रामा रसमानापार पर बीमा पाकिमयों की ही प्रधानता