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________________ ७८० अद्यावधि प्राप्त सभी रचनाओं भिन्नता प्रस्तुत करती है। रचना भाषा को देखते डर रवीं शताब्दी के उत्तराध की परिलक्षित होती है। पूरी रचना ६ गाथाओं मैं लिखी गई है। कुछ उदाहरण देखिय: पढन र पढमनाडु निरक्षण विहरं मरि पुरि संपत सामिकुमर परिपत्र कवि ज्ञान के साकार स्वस्थ जनप्रबोधिरि को भक्ति से नमन करता है। जिन प्रबोध चन्द्रमा की मावि सुषित होते है: बंद निम्बल नाम निहि जिन पोडणीसु लव गोषु वर सूरजनेसर सीसु ।" 11 सी विषि सरह सुरिस गुण सायरो लपिकिरि अवयरिय गोथ्यो मनहरी उल कविंद विवेन बंद पड़, नाम निहि ॥१॥ ates सायक चंद जिवि पवोह मुनिराज वि कुमय पढि बोडयर विहुवणि जो विक्साउ ||१|| जोय farera गुरु पद्म जिम बल्लहो, मंद पुत्राण जंत्सम जो इल्लहो । fare म्हाइ जो सब क्यु बोडर बंद समुर सोहर ||२|| इस प्रकार कवि ने के ज्ञान का बाद वे बाधकर ज्योत्सना भी बोच faeमों का प्रकाश किया है। अन्तिम पद में का यह मान और भी विवर उठाता है। जिसमें कवि ने सामर को बारा रवि को और कद्रमा को कलंकित कराया है घरों में वे विप्रो को विन मण मेड- कवि उपमानों की उपमेय के समय अपनी आलंकारिक रैली में कीका सिद्ध किया है। वन की स्वाभाविकता उल्ली : सामक वारस रवि किमि चरिक विषयम युग महगे | ॥१॥ नेउवभिन्न किम्मतक डुक्कर तब स बाबा का जल वायरी- (२ ।।चंद्रायना)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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