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दृष्टि से यह रचना साधारण है पर लोक मीत की भाति गाये जाने के कारण यह एक प्रकार के पद की भाति प्रयुक्त होने लगी और प्रारम्भ में चली और फिर एक उसी झी को बार बार इहराया जाने क्रम मिलता है।
गालियन के अनान कर देवलोक पहुंचने के सम्बन्ध रचना १ छंदों में समाप्त हुई है।रचना अझ्यावधिवप्रकाशि। मूल प्रति कलमेर भंडार में है Om की प्रति लिखी गई है। रचनाकार अशा रमा ४वीं शताब्दी की लोक पाषा मूलक :
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