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तिविमि तिन्नि पुषण प्रारपिय नियति भयानि सीम विपिन नापिय सविधीमपिक्कि पञ्चालियर पुलिसइद पुषिमा रेरिडि समर समरि म इक्किर, करितीलिमा डिपि नियमित स्वरि प जिम रोपिय वीर जिपिया बाप अहार सहर र मर रिलि रक्खा मोडगाव (10)
सिमा तिमि अंगों अमिति पामि धारविमरणिति परमि पछि मात्र ममि सिह माह पपीरह मम । भय बिमा रक ना मान रमि जोडि वापिदि मग हरिया कोस काविया कायक नद परिवार बाकि अमर कराई मामिडाक्सिकिय जयकार इन परि न मान पि विकिपडा सबति पनि गणि
देखन करवि देस पडियोहिय, मनमोह शियित विवि (२१) और बस में कवि निर्वद रस काव्य की समाप्ति करता है। वैश्या हार मान माती परीकी दीवानी है की उम्मत किरणों से सबको भानन्द की मापी ..
जिम उमारि मिरा मिल गयी
इस प्रकार
का मामा प्रयास का वोरा देता है।पूरी कि माझोपाया सभापों सगाव रसा
Metों में मोर पापा ममा स्पष्ट होता माया सिमामान लिन Morry गरीमेडी मारकर बोध गैरक का परिचय दिया मागी टिपाचा पर है।