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:- सरवर गुरुगुण वर्णन छप्पय :
जैन समाज में जैन लेखकों और कवियों के अनेक सम्प्रदाय मिलते हैं। इनको जैन समाज में गच्छ कहते है। ये गन्छ सैकड़ों प्रकार के है। इनमें से ८४ प्रमुख रूप से जाने गए है। इन मछर में भी तीन या चार ऐसे हैं जिनमें अनेक लेखक और कवि हुए है। इनमें से प्रमुख है :- सरर गन्छ, त्याग, वन्य और बौधा लौका मच्छ। इनमें बरतरगच्छ के कों एवं आचायों की परम्परा नही बसाधारण रही है। इन तर गच्छ के लेवकों का जीवन बड़ा प्रवर ढंग से पलता है। इसीलिए इस गच्छका नाम बरतर है। ये चैत्य जीवन के घोर विरोध में है। वस्तुतः बदतर छ के इस सम्प्रदाय में गुरुमों के गुणों का वर्णन करने में एक रचना प्राप्त हुई है रचना जाव से कई वर्षों पूर्व ऐतिहासिक यह रचना अज्ञात लेखक दुवारा विरचित
उनका नाम है बरवर गुरु गुण छप्पय । यह जैन काव्य संग्रह में प्रकाशित हो चुकी है।
है तथा इसमें तरतर गच्छ में हुए कवियों तथा लेवकों का छन्दोबदल ऐतिहासिक परिचय दिया गया है। इस छप्पय में ऐतिहासिकता उयों का पूर्व समावेश है। जिन जिन वर्ष किया गया है ऐतिहासिक इन्डि है उनका बहुत महत्व है। वायु के पूर्व की है। गुरु गुम वर्णन परम्परा अधिकतर इसी मिलती है। मि उच्चों के गुर्गों, जीवनगत विडिष्ट बातों,
दियों का इस यह कृषि व
काव्य क्या करनाओं का वर्णन किया गया है उनमें प्रमुख है- निक्स, विनय निवड, किमक, मिराव और विनमद्र । गली का दीवाना अधिक लोकप्रिय हुआ है कि विकास के भेद है। में इन्हीं मुखों की पाचनश मोरया प्रवास आदि का काव्यात्मक वर्णन है। कवि
१- काव्यसंग्रह प्रकायक अमरकन्द मंवरलाल नाइटा-५० २४:१८ |