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लिखा । परन्तु वास्तव में ऐसी बात नहीं है। रचनाकार अनुमानवः उदयधर्म है जिन्होंने रचना की समाप्ति पर अपना नाम स्पष्ट कर दिया है:
सिहभाष बदिन, उदय पान मूल मत्वा ।
मो पविय पत्ति समिति सहरू सबल लच्छिकीला लाल।। इसमें उबयधर्म कृति के रचयिता के लिए ही प्रयुक्त हुआ है। प्य में कोई विशेष क्या नहीं है। कवि उपदेव की दृष्टि से संचार की बारता उपदेश के अंगों का विश्लेषण, जैन धर्म के ब्रों आदि के सम्बन्ध में कर्तव्य पालम, गुरु मतिमा पूजा, धमा, हिंसा, बमा और तप बादि गुणों को पालन करने का उपदेश देता है। कविता में प्रत्येक पद विग्नि दृष्टान्त और अन्सयाका समावेश है पानो तुम मुनो। संसार को अपने मान मिनो, डोष बाकी बोड, समरसता धारच करो- इस प्रकार के उपदेश सर्वत्र विद्यमान है।
छप्पय की भाषा में बदल पि अपोकदों का बाहुल्य अधिक किर भी काव्य का अपूर्व प्रकार है। उदाहरणों से कविता का यह प्रवाह स्पष्ट हो जामा:
पक शाह इति गुड मुमत, पक जग अम्पसमा कोई विपरित परत समरस अपराक लिबिरिवीर, धीरणबारपर
दार पेल दुव्याला निकर परहिरिवन समाससम गुलियर बना किन त मला की, जिसनमा
की पुष्टि गावी वी का मिला कि भाषषी पाये
गिरिरबीकषिता गुजराठी बायाची आये हैमा कायमचा
बापाडीकाम्बोजना बारमासी मन भिमाचापाकाकीबाबतीयिका ऊपर की बनवाना पाये
स्वपनाममा (
उमाका मानक बटपदमा पाकषिमागनदी। कीसिनो कितीपापाबवानामनाम्यबोसमकाब।