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में विचार किया जायगा, इस प्रकार है:
१- बैत्य परिपाठी २- बारहमासा - पट्टावती ४- गुणवर्णन ५- बाव
.. मिसाला ... लारा
११- भादो - गायक
:- प्रधान रखना और उनका विश्लेनभन्यों को माधार मानकर किसी कई इन रसायों में भी किन र है। इन रचनाओं का मानरम हन्दी भाचार पर यिा मना है। प्रत्येक रचना
कियर का प्रयोग कि वापरलस किन का बहुत गोरखा से नहीं बाल यिा गया है इसके अपवाद भी मिलते है। वह मी भावनि पूरी रमा बर्षियो। मावस्य हा बासी रमानों
का प्रायः मिल जाता है और सम्म मामलोग की प्रग इन्टि रही होगी।
मार गिरने पर न रखनागों भी पार्मिक मासिक वाले है। इनका अध्ययन नहीन
मिला मान लिई रमाएं देसी