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tos पणोरह पूजि सहं, सज्जण होसिइ सोसु, नंदण तु थाइसिसम पड महुकम्म दोस् बास सासवेयण पमुहवाहि माइत मूल
जीवतेहिं धंधोलियड उड्डइ जिम लहू तुल
इस प्रकार पूरी रचना कथात्मक पद्धति में शालिभद्र के चरित्र से सम्बन्धित है। शालिभद्र संयम की उत्कृष्टता द्वारा अमर हो जाते है। पूरा काव्य सरस दोहा छंदों में संयम व आदर्श चरित्र की महत्त स्पष्ट करता है तथा जैन वर्शन के अनुसार कर्मों के बंधन नश्वर संसार और नरक के विविध दुखों का तथा कामिनी कांचन के स्पष्ट चित्र प्रस्तुत करता है। रचना कक्क पद्धति की होते हुए भी सवाय सरस है ।