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सामिणि मा तफ अंतर ए एवडउ प्रमाण
राजकुंरि बलहुं पपइ म करिम घणउ विचार
इण भवि पर मवि एक तु निश्चिई करितु भरतार रचनाकार ने अनेक वर्णन किए है जिनमें भोजन वर्णन नृत्य गीत वर्णन, विरह वर्णन आदि प्रमुख है कवि के काव्य कौशल के कुछ उदाहरण इष्टव्य है। राजा के अजम कुमारी के यहा भोजन करने आने पर कवि भोग्य सामग्री का वर्णन करता है:
ताण सामडणी सवि करी,राणा डिउ ऊलट धरी भाविउ राजा मि परिवारि जिमवानइ मिति जोवा मारि
क्या बासक नइ आडणी, पुर बइठउ आयपुर घणी 'क्या सोबन मय बहु थाल {क्या क्योल वि साल पहिरि जम समाषा देस निरुपम न क्यिा नववेस के सतह मोहामी बाल तिमि मंडपिआभ्या बत्काल पहिली मूंकी फलाहुल गली, की साकर इधई मिली क्यां सरस गविल पक्वान, क्या आणी उन्डा धान क्या नव नव परि साल, मुक्या सरही थी अति वर्ष मुंकी माडी पुरकी व ग बीर गाड एक हेव
क्या सहा पुरता घोह जिमवाड वि छ निरोक बाब्या वास्या निरमल मीर आया कर लेवा बीर माव्या बीड़ा पाका मा बाब्या समझ घोड़ा पणा
इपि परि राजा मावि धरि आwि (७१-८५) यही नहीं वृत्य और वाध्यों का वर्णन कवि के गीजन्य या लय वा सम्बन्धी जाम पर पीप्रणा गला । यात्मक है। अनुप्रासात्मक तथा अनुरणन मुक्त है जिनसे एक बाब कीट होती पापा की परलताऔर वर्षन का अत्रासात्मक-समस्कार हर साल्वी , हिव सुपई)