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________________ ६७२ प्रस्तुत विवाह की कथा वस्तु संयमत्री सेविवाह करने की ही है जिसमें विशाल संघ निकालने का वर्णन मिलता है। संघ सज्जा और लोगों का उत्साद मुनिजनचन्द्रसूरि के संयमकुमारी परिषद का चित्र प्रस्तुत करते हैं। भाषा शब्द चयन सरल तथा प्रवाहपूर्ण है संघ सज्जा का वर्णन की अलंकारिकता देखिए: कमि कमि च विह संचट हल्लकल्लोलहि जंतु बहुत संवs aहिं नयरि कुसुमा विहतु जिम जिम केल्हर मंति वहिं पेराई संधु भवाड़ तिम तिम वाथ तालु मषि जात्र हरेसि उच्चा --- arts offs संघतडि, लोय मिलति अपार बाजsबाजs ढोल अनुबंध समद सविचार दीes दीसर पाइ जन, रडवर हयवर थाट कres कीus as fरमण अवह बढ़ावह बाट रचना शैली पूर्ण आलंकारिक है। बच्चे को मा संयमत्री की दुर्निवारता तथा कष्ट पूर्ण स्थिति और उसकी कोमलता का परिज्ञान कराती है विज पनि पास गंतून पमनेइ अवर वयव क्सो मोलि मार माइ वय महणु कंठ एमनिय नंदने अनि पवि जपेर माया भरत तुङ मुंह कमल वत्स उत्संग वइति बलि की तुह कोयमार्ण aaण सहा मोलिया वास भोलकर वयन इडु फिम कहे सि ममणि तुह जिम बहूडर बस होसि तं ब्रम्ह कुल रमणु दीवो fle जमणि वय स्वड़ा निपि वत्स देतु विविका कर्ज तुहफलाई jeast अनुदास विदाग देश्सु लाडवं विविs खूब डाई सीत सोम लावgथ गुम मालिया, चंद मुडी मृग लोयणीय मगर मोडिय स्वबर वालिया परमावि तह रंग भरे बंद feeds for अन कम्पूरि किउ अहव अमियेण किउ जमणिमणु ary किरि जैन सा मोलावइ बहुपरे विविह वयमेहि अय कोमले । हिं(१३-१८
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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