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कथा परंपरार्य, कथा रूढि अवान्तर घटना:
वस्तु में पूर्व वर्णित मौलिक घटनाओं का सुन्दर कुतूहल व घात प्रतिपात प्रस्तुत किए है। जहां तक क्या रूढ़ि और परम्परा का प्रश्न है कवि ने वन पद्धतियों प्राचीन ही रक्खी है। छंद त्या वस्तु शैली आदि में अपभ्रंश की परम्पराओं का ही अनुगमन किया है साथ ही कथा परम्पराओं में भी कवि ने पूर्वरचित संस्कृत प्राकृत और अपभ्रंश के काव्यों की कथा को मूल आधार मान कर अपने मनोवांछित प्रयोग इन अवान्तर क्या प्रसंगों के रूप में किया है। ये सब घटनाएं मूल कथा के साथ प्रासंगिक कथाओं का कार्य करती है। यद्यपि प्रयम्म के विवाह के बाद आगे की घटनाओं की संगति आधिकारिक कथा से ठीक से नहीं बैठ सकी है परन्तु फिर भी उनको क्या वस्तु की वृद्धि तथा क्था में प्रगति हेतु माना जा सकता है । घटनाओं में युद्ध की चाले, विमानों के प्रयोग राजनैतिक मन्त्रों तथा नीति प्रधान वार्यो का वर्णन कवि के बहुश होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। अनेक प्राचीन विद्याओं का वर्णन प्राचीन युद्ध विज्ञान व पौराणिक युद्ध कौशल व अस्त्र शस्त्रों की विविधता का परिचायक है।
अहिंसा
इतना बड़ा वृद्ध काव्य होने पर मी, खून की नदियां बहने पर भी भयंकर युद्ध करने पर भी झुम्न वरित द्वारा कवि ने अहिंसा का प्रचार किया है। नायक प्रद्युम्न अपनी विवादों के प्रभाव से सबको स्वमित कर अचेत कर देवा हैं पर किसी भी व्यक्ति की हत्या नहीं करता। अपनी विया के प्रभाव से उन efeatine भावना काव्य के मूल में है। वीर काव्य होते हुए भी यह काव्य सबसे बड़ा विरोधाere प्रस्तुत करता है।
लोक काव्य:
ate कायों की परम्परा में प्रद्युम्न चरित का महत्व पूर्ण स्थान है। का भाषा कवियों में अद्यावधि उपलध लगभग सभी जन भाषा काव्यों में यह सम्म सिद्ध हुआ है। व्यवहारिक जीका की छोटी छोटी घटनाओं के होते हुए भी इसकी मुख्य संवेदना ठोकोपकारक है। सरल भाषा प्रवाह, सुष्ठक्तियाँ