SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 649
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६०९ क्या वस्तु पौराणिक है तथा व्यावृत्ववाली है, जो कृष्ण के जीवन व परिवार से सम्बन्धित है। कथा वस्तु अधिकतर घटना प्रधान और वर्णनात्मक है। साथ ही उसमें अन्य घटनाएं व प्रद्युम्न सम्बन्धी कौतुकों और विद्याओं से कवि ने उसको अधिक आकर्षक बनाया है। कवि ने कथा का विभाजन सम में नहीं किया है। अद्यावधि सर्ग विभाजन के लिए प्रयुक्त, पास, कडुबक व्वणि आदियों को न ले एक मौलिक ढंग प्रयुक्त किया है- अब यह क्या द्वारिका जाय, बाहुरि कथा वीर पायआदि पदों को लिखकर किया है।वर्याय स्वतंत्र वर्ग कहीं नहीं है पर कवि के संकेतों के आधार पर इसे झंडों में विभाजित किया जा सकता है ये है स्तुति प्रद्युम्न जन्म बैंड े, प्रद्युम्न हरण बैंड, प्रदूयुम्न जब सेबर बुध से दवा रिका और अंतिम है जिनमेवम ५ • पुनरागमन सँड, श्री कृष्ण प्रयुम्न युद्ध बंड पूर्वभव बंड या (मोध) डंड कृति में वीर रस प्रधान है उत्साह की निष्पत्ति युद्धों में सर्वत्र होती रूप में निष्पन्न हुए है। इसी अंगी है। प्रधान रूप से वीर रस क्या वे रस रस के क्रोड में वीमरस (४८८-९०) व (सत्यभामा करुण रस, (पद १३७, १३८, १३९ व्या विविध विवाओं के प्रयोग पर र निम्न होते है। करता है। (५) कि रूप से श्रृंगार ft) आदि के प्रसंग में प्रद्युम्न के रौद्र स्वरूप के मन में रौद्र कवि शान्त रस की नियोजना में काव्य का समाहार १. प्रद्युम्न वरिवः श्री चैनसुखदास क्या श्री कस्तूरचंद कासलीवाल द्वारा सम्पादित पद- १-११। २- वही पद ११-१२५। ३- वही, पद १३६-१५९॥ ६० वही पद ४४१०५७२ १० वडी, पद १८६-४० 4-487; 48 #34-1900 / ड- वही, पद- १६०-२८५ ७- वही, पद ५७३-६३८
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy