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________________ ५२२ यह पूरा काव्य महात्म्य का ही परिलक्षित होता है।रचना की उपलब्धि पर इस सम्बन्ध में नये ज्ञातव्यों पर प्रकाश डाला जा सकेगा। १ -: बिडंगति चौपई : ********ETE संवत् १४६२ में कवि वास्ति विरचित एक सुन्दर वढर्मिक काव्य चिडंगति बस्ती नाम से भी प्रसिद्ध थे | अद्यावधि चपद उपलब्ध होती है। कवि वास्ति इस रचना के अलावा कवि वास्ति की अन्य कोई रचना उपलब्ध नहीं होती । रचना १५वीं शताब्दी के उत्तराध की है। तथा कुल ९५ कड़ियों में लिखी गई है और प्रकाशित है। करके किया है: चिगति चउपई में कवि ने संसारिक इसों का सजीव वर्णन किया है। विविध वर्षों के विविध फल और विविध जीव योनियों में मनुष्य किस प्रकार मटकता है। इसका रोमांचकारी वर्णन प्रस्तुत रचना में मिल जाता है। जीव की विविध स्थितियों और कर्म के सिद्धान्त पर कवि का यथार्थ वर्णन और चित्रण दोनों उल्लेखनीय है। रचनाकार ने सहज जीव, समकित आदि सिद्धान्तों पर सुन्दर प्रकाश डाला है। रचना का प्रारम्भ ही कवि मेन सीर्थराज तथा गौतमगणधर का नमन बैन मंदि तीरथराउ गुरुमा गणहर करउ पसाउ बाग वाणि समर देवि चिहुं गति गमन कहउ वि (१) और अन्त में अज्ञान पवई आसान काय, वस्तिम लागइ श्री संघ पाथ- मैं अपना नाम स्वष्ट कर दिया है। जीव की स्थिति का मालंकारिक प्रवाहपूर्ण १- देखिए- गायकवाड ओरिफ्ट सीरीज सी० १८ पृ० ७६॥
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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