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पूजा का सार प्रस्तुत करता हुआ, काव्य समाप्त करता है। पापा की सरलता कोमलकान्त पदावली, अनुप्रासात्मिकता क्या वर्णन की प्रमादिकता इम्बव्य है:
समहर कल बारस सरजुत्त, पावर जंगम विसहर तत्व हसहार हर समर ति, नाम महमि तुह दयाल ति
नारि दुश्य पार्वति पुरखुमरोबर पुत्व सांति निइ नंदण अगइ चिराउ दुइव पावह बल्ल राउ चिंतिय कल चिंतामणि मंतितुक पसाई फलई नियंत
व्यवंति मोहगिग निहाय, निवपश्यपय अपिलिय पाप कवि बाइसाइ ईति घाम, जाई पर मि तु होहि पमम
पउमावइ बउपद पटव होइ पुरिस वि हुयन सिरिकेत रम्म मा निम्बस्स कम्पूरि, सरदीयमवण जिपम्पह मूरि
रमा प्रकाशित है अथा देवियों के चरित पर लिखी गई अपने प्रकार की रचना है। चरपई सैमक रचनाओं में नारी पात्रों पर लिकी एक ऐसी ही रचना अपबासठी बम्पादिका है जो सही पहावती पर लिखी है। जिस पर भी प्रकार डाला गया है।
बना शिव की दृष्टिपी रमा पौधिक षड्मावती करपई पानी की उपासना प्रधान कायम है। यह रचना याच प्राचीन मासादिक है : वह कहा जाता है कि अपने समय में सब कोणीय रही होगी।
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१५ साली पाहा हिवतीय पाक में कवि विष्णु रचित एक
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- गुजराती साहित्य परिगड़ की भी रिपोर्ट पू. १३-१४ पर स्वर्गीय बीसीडी-वळालका निबन्ध