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________________ का सफल निकाह परिलक्षित होता है। भाषा की दृष्टि से भी यह कहा कृति पर्यन्त प्राचीन लगती है पर की उकार बहुला प्रवृत्ति, अपांच के विविध उब्दों में मिल जाती है या ही कवि ने अनेक विशुद्ध तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है। रचना प्राचीन होने से भाषा विकास काम को समझाने में योग देती है।रचना शैली वर्णनात्मक है। जिनदत्त का जन्म से लेकर मोक्ष तक आदशोपान्त चरित वर्णन है। कवि ने सागरदस बैंड बनाया की पुष्टि कर रसना की कथा वस्तु में उत्कटता का समावेश किया है। रचना का क्या कृति और चरित आसान होने के माथ साथ ऐतिहासिक दृष्टि से भी पूरा पूरा महत्व है। पूरी रचना उपद संध में लिखी होने से छन्द प्रधान है अलंकारों में उपमा, मक,अनुप्रास, कम वर्णन, इष्टान्त आदि का प्रयोग किया है। नारियों के क्षेत्र में पी पातिव्रत्य या जीत के आवों पर चलने के रूप में इस रचना का योग स्पष्ट होता है।इस प्रकार उपद संज्ञक रचनाओं में मिदत्त पापड़ का महत्व क्निगद भूरि की मेमिनाथ चतुष्पदिका के बाद भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे परिमूलक क्या आख्यान राजस्थान के अहगावधि बंद भंडारों में कई मिलने की आशा है। चउपड़ संज्ञक कुरा और रचनाओं का संक्षिप्त परिचय अशाक्ति है।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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