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प्रस्तुत फाणु की क्या बस्तु इस में एक बम पौलिक है। कवि प्रारंभ मे ही श्रृंगार वर्णन की प्रतिकूल स्थिति राजुल में उत्पन्न कर देता है।
अब तक उपलइध फाणु काव्यों में यह रचना सबसे उत्कृष्ट और मौलिक है। अभिव्यक्ति के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण देखिए। राजुल के लिए समस्त वातावरण ही काटने वाला हो गया उसकी चर्दिक उसे पीड़ा पहुंचा रहा था:
कामिमि वहरिपि सीगामि बींगपि पति जाषि निका कटा पराउली राउठी संकर वाणि
तु पन र परमि अधरम अधर मधुर में विभासि गुवती जंगम विसलब किसलय तिणि वेड पाथि विकसित पंक्स पाखंडी आण्डी अपम टाति ते विष मलिलि तलावली सावली पापिणि पालि हार मिलि मुख सामु कि वायुक्डिइ फुक विणि बीपि करी पहिलीई गडिलीय चतुर अचूक मारि लबह नि कुर्षली कुबली महषितुं वाणि
कुमति कर बढाइपि गवति मंत्र जागिर नारी राजुल ने अपने घर नशि की बड़ी प्रतिकूल होकर उपेक्षा की। बन्दर्य के एक एक अपमान उसके लिए निमय प्रतिष्क की बात है। कवि की अलंकारिकता प्रथा बरस की ओर राज की प्रवृत्ति मी का वर्णन का उत्कृष्ट :
कानि नुक मिति बाबई भाई अमिरिमि पीवरि मरिदिएकावा काय परिवि नगि भाष विपि गएं हार बइ निरी माहिमपास पयोधर मोहर रहवा रेखि करवठी पिवळी कर लीम सी मन बामि विविध स्पट परी रे बरे (ब) हा सिपि निषि भय पारकिर काली की किसी की
कमानी मह जीम ने तीन