________________
४५३
नारियों का । दोहद -
कुसुम आयुध लेइ वनस्पति सवि रही, विरही उपरि सूरि रे मदन रमनिनि सारथी परिमल-परि मलिया निल वार्ड रे सुभम कि मधुकर कई कोलाहल, काइल कोकिल वाई रे ।
आंदोल
कोइलि विश्यणी मदिरा -नवणी नाटकि मरठी एवविवनि बईठी ए
पंथी प्राण पतंग, काल काजल म
चंपक दीपकूप वनधर दीप कूप
कुसुमित कक्ष्मी, जाणे किरि तरुणी
मधुकर- जिए तेह, सिरि वीणी प
मधुरित में नारियों का वर्णन, वसंत्री का मोहक स्वस्म, कामिनियों का दोडक रूप में वृर्वो पर चरण प्रहार, कुसूमों का विस्तृत सुरम्य लोक, नारियों के कसे वस्त्र, और वसंत क्रीड़ा वर्णन सभी एक से एक स्पृहणीय बन पड़े है:
बावी ए मधु माधवी रति पली फूलीसवे माधवी
•
पीली चैपक नीकली मयमनी दीवी नवी मीक्ली
पामी पाउल केवड़ी मगरनी पूर्वी ती केवड़ी कूडे वाहिनि रावड़ी विडिया दोल्डी हुई राही
काय
इकलित-वरण-प्रहारिद, मार कामिनी-कोक, वीयामा विमोक
कुम भरि कई परीरंग रंगासवानी मारि यदि बनि म रोमाकुर कुरक धरई बारि
घुटई पदस्ट टूि
पिन दोषति गति प्रद