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कमठ कठोरु पयोधरि धरिउ जो नवकारि मुगति रमणि मन रंजय भंजणु भावठि भारि जीरा उलीय सतीसय, दीसह तमु अवतार एकलमलि जिण सादरि आदरिउ जगभारु चउरासिय नर नायक, पायक मड़ सपराण
चोर चरड बह मानइ मानइ सिरि जस आण
जसु डरि करि परि निय प्रिय स्यि नितुजपइ ईम
कूडइ मनि पासह तणी धनियम लाधसि सीम . कवि ने गूर्जर घरती की सुन्दरी नारियों का वर्णन , उनका पार्श्वनाथ के दर्शन का उल्लास तथा उनके नृत्य और उन्लास का मनोहारी वर्णन किया है। वर्णन की सरलता, चित्रात्मकता तथा शबूदों की आतर अनुभसा योजना नष्टव्य है:
जिपि विणि वैवह जोइ न कोइ न पूछ सार तिषि(दिणि) बभण पत्रिय जात्रिय वर्ण भढार इणि महिमागुण रजिय जिय नयण विसाल भूपि बोलि सुरंगिय रंगिय अधर प्रवाल लडहियापि कडमड़तीय घडतीय भाव रसाल नेह महिल्लिय दिवा प्रिय हुला पइबात
धरणि क्वणि रोमविय विय सवि भरबार सोक्न अनइ सुमधाति बंधहि कहि किम बार
परिसनि शाकिर नील दीम मिय समाप पूज माविम विमोरिय दोषिय पश्य प्रमाणि भाकिय मेडिसिडित नियनिय वैसि
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१. प्राचीन का महः डा. साडेसरा पु. १२-11