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________________ ४१५ ने उनके साथ पाणि ग्रहण की सोच ली। उन्होंने अपने काम इंगित, श्रृंगार सज्जा, प्रूकटाक्ष, तथा सौन्दर्य के उपादानों से संयम के साकार रूप जंबूस्वामी को पथच्युत करना चाहा। कवि ने इन्हीं आठ नायिकाओं का नखशिख तथा शारीरिक सुषमा का वर्णन किया है। पदावली बड़ी सरल है जिसमें कवि ने नायिकाओं में यौवन के दंभ का रंग भरा है। वाणी सरस और शब्द बड़े गंभीर है। जंबुस्वामी को झुकाने के प्रयोजन से तैयार होने वाली इन बाठ नायिकाओं का सौन्दर्य रूप व सज्जा का वर्णन बेखिए: घर घरि गूडीय कहकह, भलकइ तोरण बारि रंग तरंगि गाय (वायs) हर खि न नारी कन्या अभिनव जोवन सोवन बन्न समाणा मागीय रुपि विलुत्तम, उम वंस पहाणा आठइ दिसि मन रंजन अंजन भूमहीय नारि आठ गुण संपन्नीय उपनि संसारी सिरवरि वैणीय लहकइ, बहकर चंपक माला रविपति व समाज जात माल विसाला महिय स्व कुसुमसरि अवसर तोरण मात त्रिभुवन जय उत्तासिद्धि कासिंहि कीय काल लाडीय पंक्य लोणी जोयमी जग मन मोह कम्बल र दम निस्वम सारणि मोह उकड चंड सम सरल तरला नासानं अहर बिंब मरवावि, छालीय राग विदे विमल कपोल वि दीवह जीवइ दिनयर कंति क्यानि कति मिलिय रहीय एकति कोठि मोर मराठिय राखीय विनिजीय म क्कू विरे छाबड, गाजड़ कारण ते
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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