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________________ ४११ -- जंबू स्वामी फाग.. (अजात कवि कृत) नन्द सं० १४३० का जंबू स्वामी फाग महत्वपूर्ण काव्य है।प्रस्तुत काव्य की प्रति पाटण में मुनियक्ष विजय की हस्तप्रति से उपलब्ध हुई है। यों यह रचना बहुत पहले प्रकाशित हो चुकी थी। बू स्वामी नेमिनाथ की ही भाति बहुत प्रसिद्ध व्यक्तित्व हुए है जिनपर अनेक काव्य लिखे गए है। १५वीं शताब्दी के पूर्वाध में यह कृति एक बहुत ही दुर्लभ तथा महत्वपूर्ण रचना है। जंबू स्वामी फाग में कती का नाम कहीं नहीं मिलता) कृति की पूर्ववर्ती रचनाओं को देखते हुए काव्य पद्धति भाका, भाव और शिल्प में यह रचना जयशेखर के नेमिनाथ के फागु से प्रा साम्य रखती है जिस पर आगे प्रकाश डाला जायगा। बहुत संभव है कि ये दोनों कविसमकालीन रहे हों। अथवा परस्पर प्रभावित भी हुए हों। काव्य की दृष्टि से यकृति बड़ी महत्व की है। प्रस्तुत काव्य पातरणास वाली ३. कड़ियों या ६० दूहों में रचा हुआ है। सम्पूर्ण काव्य में कवि ने अंतरयमक प्रत्येक दोहे में रखा है जो फाग की प्रवृत्ति विशेष है। कृति का पाठ, भाषा भाव, प्रवाह और काव्य-कौशल की दृष्टि से अज्ञात कवि कुन अजेनरचना बसन्त विलास फागु में पर्याप्त मेल क्षाबा है। बसन्त विलास का समय भी सं० १४२५ के पास पसल है। रखना बंध यमक अनुप्रसा की या शैली वसंत विलाब में सर्वक परिलक्षित होती है। कृति जंबूस्वामी जीवन पर लिखी एक विविध घटनाओं में गुम्किन एक चरितमूलक मंड काव्य है। जिसमें जंबू स्वामी का व्यक्तित्व संयम की अनूठी सुषमा से जगममाता है। चंबू स्वामी रामगृह नगर के एक अनपढी रिक्मदत्य के पुत्र थे। उनकी माता पारिणी भी। युवावस्था में एक बार बंबू स्वामी अपने परिवार सहित वैभवमिरि पर्व पर कीड़ा करने गए। पुनः छोटो रास्से में सुधर्मास्वामी गणधर से मैट हुई। अबू कुमार ने उनी प्रणाम किया और उपदेश देते ही उन्हें विरक्ति हो मई। घर बाकर माता पिता के उन्होंने दीक्षा की बात कही।पर पुत्र पर असीम - १-प्राचीन काम अंग्रह . २५-३० गुबराबी बीपोत्साक-पु.n m डामाडेसरा संपादित।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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