________________
अंत में दोनी फागों में कवि संयोग की मधुर आशा को एक दम बम में परिवर्तित कर दिया है। सारे दृश्य बदल जाते है। जहां तक कवि के काव्यात्मक स्थलों का सम्बन्ध है, भाषा का प्रवाह, शब्दों की कोमलकात पदावलीवर्णन की आबर अनुप्रसा यमक प्रधान शैली तथा मौलिक उपमानों की दृष्टि से दोनों फागों के नख शिख वर्णन बड़े उत्कृष्ट है। दोनों में यद्यपि वस्तु साम्य है परन्तु फिर भी दोनों का स्वतंत्र महत्व वर्णन की पद्धति की ओर संकेत कता है। दोनों फागों में राहुल के नम शिक्ष वर्णनों की मिठास देसिए। दोनों के उपमानों में राशखर के नेमिनाथ फाग में वर्णित उपमानों से भी साम्य है:
(प्रथम भाग)
मयण मुड करिवाल सरिस सिरि वेणीय बन्डो कति समुज्जवल तासु वय सिपि विंड असंही मालथल अठेठभिव चंदु किरि केन हिंडोला ममुइ धनुइ सम विबुल चपल लेयण कंचोला दक्पण निम्मल तम कपोल, नासातिल फूल हीरा जिम भलंकत दंत पतिहि नहिं पुल्ल जाहिरु प्रवाला करइ कोइल वादो राजल बाषिक देषु बीच सारइ नादी वसु पुय बल्लीव करि मह पीप पयोहर तुम परि पूरिय सिंमार रवि नव कलम किरि बम रहरि कालिय गीत म खम त्रिवलि रंग माही मंडह बह महीर रोमावली चंक पनि विकास नियंब बिबबली पोस्ट रपिय अंग बरण अक्सन गुण बोरु .
(हिवडीव शम)
गोड पिरवर राज भाजक साल वेषि पा पुमका नराख्नु सानु दीया वीकि