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और मौतिक प्रगति के साथ साथशान्ति प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक प्रगति का भी मानव-जीवन में अपूर्व महत्व है, आदि अनेक संदेश इस छोटे से प्रमाख्यानक या श्रृंगार प्रधान काव्य से मिलते है। जिनपदूमसूरि का यह काव्य निस्संदेह आदिकालीन हिन्दी जैन कृतियों का उत्कृष्ट श्रृंगार है। कवि ने सर्वत्र जीवन के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण रखा है और श्रृंगार-वर्णन में कहीं मी शिथिलता नहीं आने दी है। कृति का हरेक पहलू सबल एवं सूक्ष्म है । अन्त तक इस कृति की उपदेशात्मकता व्यक्त होती है। चरित नायक कोशा को सतर्क हो जाने के लिए प्रबोध करता रहा ।
निष्कर्षतः फागु रचनाएं हमारी प्राचीन सांस्कृतिक धारा को भी प्रवाहमान बनाने में महत्वपूर्ण योग देती है तथा समाज के हर्षाल्लास को अभिव्यक्ति देने का माध्यम है।