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श्री लालचन्द गाधी फाय रचना को विविध तत्वों से युक्त देखते है उनका कहना है कि बसंत उत्सव से सम्बन्धित, अभिनव उल्लास वाली एवं जीवन को नव नब भावों से पूरित करने वाली विशिष्ट वर्णनात्मक रचना का है जिसमें गाबिक छटा के साथ साथ यमक अनुभसा आदि अलंकारों की मुबमा विद्यमान हो।
श्री म०प० अमी ने इसे मधुमहोत्सव पी गेय मक का है। जनवर फागों से जैन फागों के शिल्प विधान का अन्तर स्पष्ट करते हुए श्री व्यास ने भी जैन कागों को इंगार रहित रचनाएं ही कहा है। जिनमें बम की प्रधानता है। पर ऐसी स्थिति में स्थूलिमा और नेमिनाथ सम्बन्धी जितने अन्ध फागु रचनाओं के रूम में होगें, अपवाद ही को जाये क्योंकि इन दोनों परिवमायकों के जीवन का सम्बन्ध गारिक घटनामों से ही रखा है।
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१- देखिए- श्री चैन पत्य प्रकार, वर्ग 1 अंक • ए. ११३ श्री कालचंद गांधी का लेख । * मागरी प्र०प० वर्ष ५९ अंक १ . २०११.१५॥