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३३७ चव मणि निम्पन्न दंडक्लस भयका बाहिर पेखा परमानदि जिण हा भरयेम विहार निय निय काय प्रमापिदिशि ठिय विणा विव
पणपति मन उल्हासि गोपन गया की वसि (1) राम का प्रकृति वर्णन कवि के काव्य कौशल का जागा माप कवि ने गौतम स्वामी की साधना और गालीनता का वर्णन प्रकृति के सामानों वारा किया है। कवि ने श्री गौतम गमधर में महापुरुषों के सभी माय मुषों का समावेश किया है।उनका व्यक्तित्व कवि में बड़ी ही कुशलता के मा बड़े विचित्र उपादानों में निर्मित क्यिा उपमा और तोबा सरस है। वर्षन का कम सुन्दर है तथा विविध उदाहरनों से पुष्ट है बिन सहकारिणी कोयक टर जिन इसमा पनि परिमा बहाजिन बानि पाच विधि जिम गंमाजलु लागि लडका मि कणयाब मिला, 7 दिम गोयम गोमागनिधि जिन मामा परि भिवका सा, मि परवर शिरि सानिमार रावाणि जिन रामक रवी मिर, नि गरि रामन मिनि मोनु गुमान मिम मिनिकि, परममा निमोहपूरब दिल निसागरो बाक्नु नि शिविर . मावर कि मामा नि विनवरी
विमलरी पराजिनि कि मामा
विन लिहा मागोमन सी
मार (10-11