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(५) धम्म धोरिव धुरि धबल इइ उत्तया,म पिंजरि कामधेनु पुत्तया ___इन्दु जिमि जबरथि वडिल संचारप, मूह वसिरि सालि धान निनहाल ए (O रितु अवतरित नहि जिवसंती पुरहि कुसुम परिमल पूरती
समरह वाजिय विजय टक्क, सारा सेठ सल्ला साया
केमय कुडय कब निकाया. (७) भाषिके मोतिष बउ पुर पूर रतन मइ वेहि मोबन जवारा
भोक वृक्ष अनुमान् पालन पलिहि रितुपते रविवले तोरण माला देवकाय मिलिय धवल मंगल दिया कि नर गायहि जगत गरो'
लगत भातर मुर गुरो साधए पत्रीठ करई सिध मूरि गुरो उक्त उचरण से पति का काव्य कौशल तथा भाषा में खत्मन बड्दों का समावेश विध हो जाता है।
भाषा में विदेशी पदों के अनेक उदाहरण इसी कृति में मिलवाने है.. ( सल्लार -घोड़े बहइ पल्लार सार राउत सीगंडिया (२) मानकानु-मैटिलं ये खाउ कान पानु (क) बहिदारमालिक अहिबर ए पलिक-मापस दीन्न ले श्रीषि प्रापथए (४) मीर मलिश- मीर मलिक मनिवड समरु बगरम (५) पाल, मलपान, इमिय, बस, free, भवावि- (पासारखाप पीडबी राजका
पान या कोवलमान न देह माली र इनिय मिराब न पाणीव हीन
बीरगम
(गलि मिमि बढ़वादि । बार मरा दोनों का बही मात्व है। इन दोनों रापारा T वैविध्य के अनेक प्रयोग लिए..
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मरारासाकार.m बरारारा..